आप आए जनाब वर्षों में, हमने देखी बहार वर्षों में...
दिन बुधवार। तारीख 28 अप्रैल। साल 2010। स्थल बिहार की इकलौती व्याघ्र परियोजना वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का इलाका- वाल्मीकिनगर। शाम के बादल मंडराने वाले थे कि वाल्मीकिनगर के ऐतिहासिक हवाई अड्डे पर एक उडऩखटोले ने दस्तक दिया। उससे उतरे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। वजह जनता से मिलने का अपने आप को जनता के बीच तौलने का। सवाल जनता का तो था ही अपनी मन की शांति का भी था, सो हवाई अड्डे पर ही नेताओं, मंत्रियों से मिले और चले गए अतिथि गृह। थोड़ी देर रुके फिर याद आ गई जंगल की, जंगल के राजा की, जंगल के हाल की। अतिथि गृह से अचानक सीएम का काफिला निकला और प्रवेश कर गया टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में। बात किसी के समझ आ नहीं रही थी कि क्या हो रहा है? आखिर इस सीएम को हुआ क्या है? थोड़ी देर में यह सीएम कार से उतर गए। जंगल के पत्थरों को देखने लगे। जंगल में लगे दीमकों के मिïट्टी वाले भिंड को निहारने लगे। सभी भौंचक थे। किसी को हिम्मत नहीं हो रही थी कि कुछ बोले। एसपी डा. सिद्धार्थ बताए जा रहे थे। फिर अचानक नीतीश दाखिल हो गए टाइगर रिजर्व के गनौली गेस्ट हाउस में। वहां मिल गए वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के समीर कुमार सिन्हा। एलबम दिखाया। सीएम ने हर बात जानी। हर चीज सुना। फिर बाघ का फूट प्रिंट भी देखा। सबकुछ बड़ी खामोशी के साथ। मजे की बात यह थी कि नव नियुक्त वन व पर्यावरण विभाग के सचिव अंजनी सिंह भी साथ-साथ चल रहे थे। सीएम की खामोशी शायद जंगल की दुर्दशा को देख रही थी। आंखें हर चीज एक पल में नाप लेना चाह रही थी। हुआ भी वहीं नीतीश ने बड़ी खामोशी से सबकुछ पढ़ा और गनौली गेस्ट हाउस से वापस हो गए। इस जंगल ने भी खामोशी से सूबे के मुखिया का स्वागत किया। नीतीश वापस हो गए। कुछ हुआ नहीं। लेकिन यह तय माना जा रहा है कि कुछ होगा। परंतु, सबकुछ विधान सभा चुनाव के बाद। कारण अब बिहार में इनकी सत्ता के कुछ ही दिन शेष हैं। हाल ही में आम चुनाव होंगे। यदि उस चुनाव में जीते तो जिस तरह से बिहार में अपराध का हिसाब किया, उसी तरह से जंगल व जंगल के राजा की तबाही का भी हिसाब लेंगे। सच- बिहार के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश ने जंगल की यात्रा की, लेकिन जंगल में मंगल मनाने की बजाय उसकी तबाही देखकर लौटे हैं। देखना यह होगा कि जिस वाल्मीकिनगर की यात्रा पर आकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ने गंडक बराज जैसी सौगात दी उसी स्थल को राज्य का यह राजा क्या देता है? वजह साफ है नेहरु 1964 में आए थे और उनके जाने के बाद यदि इस जमीन को किसी ने बड़े प्यार से देखा तो वह ...!
very good.
ReplyDeleteSamir Sinha - Nitish ji ne camera trap se baagho ki ginti ki bhi jaankari li thi. It was nice explaining the science to our technocrat CM.
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