पर्यावरण : बिहार के दोन को धुंआ रहित करने की तैयारी

लंबे समय से दुधिया रोशनी को तरस रहे बिहार के पश्चिम चम्पारण जिला अंतर्गत रामनगर प्रखंड के वनवर्ती दोन इलाके के में अब जहरीला धुंआ नहीं होगा और लोगों को दुधिया रोशनी भी मिलेगी। इस धुंआ रहित रोशनी का जुगाड़ किया वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में काम कर रही संस्था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया और दिल्ली की स्वयं सेवी संस्था टेरी ने। उक्त योजना के तहत फिलहाल खैरहनी व मजुराहां दो गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में वास करनेवाले करीब ढाई सौ परिवारों को सोलर लैंप देने की योजना है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के सहायक प्रबंधक समीर कुमार सिन्हा बताते हैं कि ग्रामीणों को सोलर लैंप देने के पीछे मूल उद्देश्य यह है कि गांव के कुछ लोगों को रोजगार मिले, जंगल से सटे इस इलाके में केरोसिन से जलनेवाले दीपक के स्मोक से प्रदूषण नहीं फैले और ब्राइट लाइट में लोगों की सुरक्षा भी वन्य जीव प्राणियों से हो सके। यहीं नहीं सबसे अहम बात है कि विकास के मामले में पिछड़े इस इलाके में लोगों को रात में अपने बच्चों को पढ़ाने का बेहतर अवसर मिले। समीर के मुताबिक सोलर सिस्टम के लिए टेरी ने जो प्रावधान दिया है, उसके अनुसार गांव में एक जगह चार्जिंग प्वाइंट बनाया जाएगा गांव के हर परिवार को एक सोलर लैंप दिया जाएगा। गांव के सभी लोग उक्त चार्जिंग प्वाइंट पर अपना लैंप चार्ज करेंगे। चार्जिंग प्वाइंट की देख-रेख के लिए गांव के ही एक व्यक्ति को ट्रेंड किया जाएगा। उस व्यक्ति के जिम्मे चार्जिंग प्वाईंट की देख-रेख और लोगों का लैंप चार्ज करने की जिम्मेदारी होगी। इसके बदले उसे मानदेय दिया जाएगा। समीर के अनुसार लैंप की देख-रेख के लिए योजना के अनुरुप लोगों से सहयोग राशि भी ली जाएगी। लालटेन की कीमत नहीं ली जाएगी। क्योंकि गांव में जो लोग वास कर रहे हैं, उनके साथ मजबूरी यह है कि उनकी आमदनी कम है और शिक्षा की काफी कमी है। ऐसे में दोनों संस्थाएं मिलकर उपरोक्त योजना पर काम कर रही हैं। समीर के मुताबिक गांवों के चयन के बाद उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में हाल ही में हुई कार्यशाला में डब्ल्यूटीआई के क्षेत्र पदाधिकारी ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है। समय रहते सोलर लगाने के लिए गांव के चयनित व्यक्ति को ट्रेनिंग दी जाएगी और गांव को दुधिया रोशनी दी जाएगी।

Comments

Popular posts from this blog

देखिए ना सरकार : बिहार की इस चीनी मिल में आई है जान

काश मैं भी चंदन होता...

आखिर क्यों पगला गई एक जननी?