इस हंसी का क्या कहना यारों...

इस हंसी का क्या कहना यारों।


खूने जिगर से आए न आए।


यार के होठों से हमेशा आती है।


इसी दुनियां में अपना भी यार है।


तू भी मेरा यार सही।


वो भी मेरा यार सही।


पर तू हंसता है तो दिखता है।


वो भी हंसता है तो दिखता है।


पर मैं जो रोता हूं।


तेरी यारी की सौ मुझे।


मैं रोज सुबह हंसता हूं।


सड़क से गुजरता हूं।


दुनियां को देखता हूं।


मुफलिसी रोती है।


अमीरी ताना देती है।


बनाती है गरीबी की कोख।


कोख से कुदाल वाला लाल।


लाल चीरता है धरती का सीना।


मरहम की जगह डालता है खाद।


तब आती है खूने जिगर से हंसी।


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