सच मानिए इस दर्द की दवा होगी

बात नेहरु व नेपाल नरेश के सपने के साथ-साथ राजनीति की फसल का है, सो अब इस दर्द की दवा भी की जा रही है। मैने देखा है भाई। हकीकत है सरकार गंभीर हुई है। सवाल किसानी को संवारने का ही नहीं देश की राजनीति के उस महानायक टाइप पापुलरिटी गेन करने का भी है। सबसे बड़ा लोचा तो यह है कि इन्हें भी राजनीति करनी है और बिहार में वोट बैैंक बस गांव व किसान है। फिर क्यों नहीं नहरों को देखा जाय। सरकार ने सम विकास योजना के तहत नहरों के पुनस्र्थापन के लिए 448 करोड़ की योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत कराये जानेवाले कार्यों की निविदा भी हो चुकी है। 15 नवंबर से योजना पर काम भी हो रहा है, लेकिन देखना यह होगा देश के प्रथम प्रधानमंत्री के उस ख्वाब को साकार करने के लिए शुरू हुए इस अभियान में किस हद तक ईमानदारी बरती जा रही है और कहां तक सरकार इसमें काम करा पाती है।

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