बिहार में मोदी पर बवाल : एक तस्वीर क्या छपी निवाला भी न मिला...

आज सुबह (13 जून) का अखबार पढ़ रहा था। अखबार के टाप पर मिली राजनीति। राजनीति बिहार की और उसमें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भरपूर चर्चा। वह चर्चा भी महज एक विज्ञापन को लेकर। अखबारों ने इस बाबत जो खबर प्रकाशित की थी, उससे एक बात उभरकर सामने आई की 12 जून के अंक बिहार के अखबारों में एक विज्ञापन छप गया था। विज्ञापन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक साथ दिखाया गया है। यहीं आकर सारा मामला फंस गया है। मतलब साफ है बिहार में नीतीश भले ही भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार चला रहे हैं, लेकिन वे हमेशा से इस फेरे में रहे कि उनकी छवि धर्म निरपेक्ष रहे और कहीं से उनपर अल्पसंख्यक विरोधी होने का ठप्पा नहीं लगे। और भाई नरेन्द्र मोदी जी तो अक्सर इस तरह के मामलों के लिए विवादों में रहे हैं। फिर क्या था नीतीश जी ने विज्ञापन देखा। मीडिया को बुलाया बयान- दिया। अखबारों ने जो उनका बयान पेश किया वह यह था कि विज्ञापन प्रकाशन से पूर्व उनसे अनुमति नहीं ली गई यह गैर कानूनी है। इसके लिए वे कानूनी कार्रवाई करेंगे। कोसी विपदा के समय गुजरात से आई राशि वापस करेंगे। आनन-फानन में दल के दिग्गज नेताओं को बुलाया और विचार मंथन होने लगा। दरअसल 12 जून को पटना में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी थी। इसी बैठक के अवसर पर उक्त विज्ञापन छपा था और मोदी पटना आए भी थे। चूंकि बिहार में भाजपा व जदयू की संयुक्त सरकार है और मुख्यमंत्री जदयू के हैं। मुख्यमंत्री जी की ओर से भाजपा नेताओं को एक भोज देने की भी योजना थी, लेकिन ऐन मौके पर सारा मामला खराब हो गया और केन्द्र में रहे मोदी जी। दरअसल बिहार में नीतीश के शासन में विकास बनाम सत्ता की जंग हुई है। ऐसे में मोदी जी के साथ नीतीश जी के विज्ञापन को लेकर काफी बवाल विरोधियों ने भी किया। लालू जी ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा का साथ छोड़ देना चाहिए। भला नीतीश जी को यह बात पचे तो कैसे? जिस मोदी के बिहार आने की संभावना तक कम थी, वे आए और आए तो फिर अपनी ब्रांडिंग के साथ। वह भी नीतीश के हाथ में हाथ थामे तस्वीर से। अर्थात् इस बार बिहार की राजनीति में मोदी का जो तूफान आया है उसने तो अभी तत्काल भाजपा नेताओं को मुख्यमंत्री नीतीश के यहां भोज में मिलने वाले निवाले पर रोक लगा दिया है। लेकिन क्या यह जायज है कि एक विज्ञापन के फेरे में सत्ता के साथी दल के एक मुख्यमंत्री को सीएम हाउस आने से रोक दिया जाए। और तो और दल के अन्य नेताओं को दिए जानेवाले भोज का स्थान बदला जाए।

अंत में :- इस पोस्ट के साथ लगी तस्वीर देखिए। यही वह विज्ञापन है, जिसपर मचा है बवाल।

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